आदिकाल से ही डॉग्स इंसानों के सबसे खास दोस्त रहे हैं। इंसान के हर भाव को जिस तरह डॉग्स समझ लेते हैं। शायद ही कोई और जीव समझ पाए. विशेषज्ञों का भी यही मानना है। कि अपने मालिक को डॉग्स हर मुश्किल से बचाने का प्रयास करता है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि डॉग्स के व्यवहार को इंसान नहीं समझ पाता हैं। और कई बार तो खुद पालने वाले को भी नहीं पता लगता कि डॉग्स ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं। कई रिसर्च में ऐसी बातें सामने आई हैं। कि कुत्तों को कई बीमारी होती है। लेकिन मालिक उसे समझने में असफल रहता है।पशुओं में मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक बीमारियां फैलती हैं। कुत्तों में पार्गो, रैबीज, मैगट्स, पारवो, कैनाइडिस्टेबर, लिप्रोस्पारोसिस नामक बीमारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। उल्टी बुखार के कारण डॉग्स भोजन छोड़ देते हैं। और कमजोरी से उनकी मौत हो जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है। कि समय से उपचार नही हुआ तो अन्य डॉग्स संक्रमित हो सकते है।
अगर आपका डॉग अचानक ही अपने व्यवहार को बदलना शुरू कर देता है। और वह खांसने, छींकने या कम पानी पीना शुरू कर दे, तो बिना किसी देरी के डॉक्टर से संपर्क करें। उसके भोजन पर खास ध्यान दें।
आप अपने पालतू कुत्ते के मसूड़े से उसकी सेहत के बारे मे पता कर सकते हैं। अगर मसूड़ों का रंग पीला, नीला या सफेद हो तो जल्द ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपके डॉग को सामान्य मौसम में या गर्मी के दिनों में भी ठंड लग रही है। और वो कांप रहा है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। अगर मूंह से लार बह रही है या वो कंपन के साथ दर्द महसूस कर रहा है तो ये सभी बीमारी के लक्षण हैं।
बरसात के मौसम में डॉग का खास ख्याल रखा चाहिए। विशेषज्ञों का भी यही मानना है। क्योंकि इन्हें इंफेक्शन का खतरा अन्य जानवरों के मुकाबले अधिक रहता है। अक्सर देखा जाता है। कि बरसात के दिनों में ये बीमार पड़ जाते हैं। इस दौरान रेबीज़, मैगट्स, पारवो, कैनाइडिस्टेबर और लिप्रोस्पोरॉसिस नामक बीमारियां फैलती हैं।
मनुष्य की तरह डॉग भी कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। लेकिन वो अपनी समस्या को बता नहीं सकते। इसलिए समय-समय पर उनकी डॉक्टरी जांच करवाना बहुत जरूरी है। खासकर तब जब वह सुस्त या कम प्रतिक्रिया वाले दिख रहे हों। अगर आपके पास डॉग है। तो उसका ध्यान घर के सदस्य की तरह ही रखें। आइये जानते हैं। डॉग की कुछ ऐसी सामान्य बीमारियों के बारे मे जो उन्हें प्रभावित कर सकती हैं।
कैनाइन डिस्टेंपर (Canine Distemper) एक संक्रमण बीमारी है। जिसके होने पर डॉग में बुखार, सुस्ती, उल्टी, दस्त और अवसाद जैसे लक्षण दिखते हैं। यह संक्रमण खून या लार के संपर्क के माध्यम से एक डॉग से दूसरे डॉग मे हो सकता है। छोटे पिल्लों और जिन डॉग को टीका नहीं लगाया जाता है। उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। इसलिए अपने डॉग का समय-समय पर टीकाकरण जरूर करवाते रहें।
कैनाइन पार्वोवायरस (Canine Parvovirus) भी एक तरह का संक्रमण है। जो डॉग के हृदय या उसके शरीर के पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता पर हमला करता है। इस बीमारी के होने पर डॉग में गंभीर दस्त, भूख कम लगना, बार-बार उल्टी आना और अचानक वजन कम होना जैसे- लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यह बीमारी टीकाकरण वाले डॉग को भी प्रभावित कर सकती है। लेकिन इसका डॉक्टरी इलाज संभव है।
यह भी एक प्रकार का संक्रमण है। जो डॉग को दूषित पानी पीने या मल के संपर्क में आने के कारण होता है। इस बीमारी के सबसे आम लक्षण दस्त और लगातार उल्टी होना दरअसल जिआर्डिया (Giardia) एकल-कोशिका वाला परजीवी है। जो जानवरों की आंतों में निवास करके उन्हें बीमार बनाता है। यह बीमारी पिल्लों, ज्यादा उम्र वाले डॉग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले डॉग के लिए खतरनाक हो सकती है।
यह रोग कुछ प्रजातियों के पिस्सू (कीट) के कारण होता है। और इससे डॉग और मनुष्यों दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं। साफ शब्दों में समझाएं तो पिस्सू एक तरह का कीट होता है। जिसके संपर्क में आने के 24-48 घंटों के भीतर शरीर में संक्रमण फैल सकता है। लाइम रोग के कारण बुखार, भूख में कमी, कम ऊर्जा, दर्द और जोड़ों में सूजन आदि लक्षणों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस संक्रमण का डॉक्टरी इलाज संभव है।
डॉग्स में 6 ऐसे छूत के रोग देखने को मिलते हैं। जिनका अगर समय से इलाज ना हो तो जानवर की मौत हो सकती है। आइये जानें इन बीमारियों की प्राथमिक जानकारी के बारे में:-
1. हलकाव (रेबीज़) : यह एक लाइलाज विषाणु रोग है। इस रोग के विषाणु बीमार डॉग्स के थूक में होते हैं। यदि बीमार डॉग्स तंदरूस्त कुत्ते को काट ले तो यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लक्षण रेबीज़ डॉग्स के काटने से 3 सप्ताह से 3 महीने तक आ जाते हैं।
इस बीमारी के दो मुख्य लक्षण : प्रत्यक्ष रूप में डॉग्स मनुष्यों या जानवरों को काटता है। मुंह में से थूक निकालता है।
2. पार्वो की बीमारी : यह एक विषाणु रोग है जो कि पेट और आंतड़ियों में सोजिश करता है।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण : रेबीज़, बुखार, उल्टियां और खूनी दस्त हैं।
3. जिगर की सोजिश : यह विषाणु रोग है। इस बीमारी का पहला लक्षण 2 -3 दिन तक बुखार का रहना।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण : कुछ दिनों के बाद उल्टियां, खूनी दस्त, पीलिया, पेट दर्द।
4. लैप्टोसापाइरोसिस : इस बीमारी का कारण लैप्टोसपायरा नामक कीटाणु है। यह कीटाणु कुत्ते के शरीर में दाखिल होने के बाद खून के द्वारा सारे शरीर में फैल जाते हैं।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण : तेज बुखार, नाक में से खून का बहना, खूनी दस्त।
5. पैराइन्फ्लूएंजा विषाणु रोग : इस रोग को कैनल कफ के नाम से जाना जाता है।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण : खांसी इसकी मुख्य निशानी है।
6. डिसटैंपर की बीमारी : यह एक विषाणु रोग है।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण : तेज बुखार, आंखों में पानी, उल्टियां, और मिर्गी के दौरे, पेट की चमड़ी पर छाले भी हो सकते हैं।