भारत में पिछले कुछ सालों में पशुपालन का व्यवसाय काफी तेजी से फला और फूला है। बकरी पालन के क्षेत्र में अच्छा-खासा विकास देखने को मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि गाय-भैंस के पालन के मुकाबले में बकरी पालन के क्षेत्र में लागत कम लगती है। लेकिन मुनाफा दोगुना होता है। बकरी पालन एक कृषि-व्यवसाय है जिसे कम पूँजी और कम जगह में भी किया जा सकता है। बकरियां पालना एक आकर्षक और आनंददायक फार्मिंग का अनुभव हो सकता है। जब आप अच्छी तरह से तैयार हों। हालांकि, कम समय में अच्छा मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए बकरी पालन फार्म शुरू करना सबसे महत्वपूर्ण कारक है। बकरी पालन दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। बकरी पालन में पशुपालन भी एक शाखा के रूप में घरेलू बकरियों को पालना और प्रजनन करना शामिल है।
पहले किसान खेती के साथ-साथ मात्र 5-10 बकरियों को ही पालते थे, जिससे ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था। परन्तु अब किसान इसे धीरे-धीरे व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं। इसके लिए अलग से मुर्गी पालन की तरह ही शेड का निर्माण कर ज्यादा बकरियां एक साथ रख सकते हैं। अब बकरी पालन का तरीका भी आधुनिक हो गया है। इसे ही व्यवसायिक बकरी पालन कहते हैं।
आसान भाषा में कहें तो थोड़ी ट्रेनिंग और कुछ ज्यादा पूंजी लगाकर उन्नत तरीके से बकरी पालन करना ही 'आधुनिक बकरी पालन' कहलाता है।
व्यवसायिक बकरी पालन के लिए सरकार भी किसानों की मदद कर रही है। इसके लिए आप बकरी पालन योजना के लिए अप्लाई कर सकते हैं। व्यवसायिक बकरी पालन के लिए सरकार पशुपालकों को ट्रेनिंग और सब्सिडी भी देती है।
बकरी पालन किसानों का पसंदीदा व्यवसाय बनता जा रहा है। क्योंकि यह कम लागत और ज्यादा मुनाफा के कारण बकरी पालन पिछले कुछ सालों में काफ़ी वृद्धि देखी जा सकती है। चूंकि मुर्गी पालन में ज्यादा देखभाल और दवाओं की जरूरत होती है। मुर्गी पालन में बर्ड फ्लू जैसी कई बीमारियों का भी खतरा ज्यादा रहता है। यदि बकरी पालन अच्छी तरह से किया जाए तो बकरियों में रोग लगने की संभावना कम रहती है। और साथ ही इसके लिए ये भी जरूरी है कि आप को बकरी पालन की पूरी जानकारी प्राप्त हो।
बकरी का मांस और दूध बेचकर भी आप अच्छा मुनाफा पा सकते हैं। यदि आप इसकी शुरूआत 15-20 बकरियों से करें तो 2 साल के अंदर आपके पास 200 से भी ज्यादा बकरियों की संख्या हो सकती है। जिससे आप लाखों की कमाई कर सकते हैं।
यदि आप एक नौसिखिया हैं और बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने में रुचि रखते हैं, तो आपको निम्नलिखित फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए।
बकरी पालन शुरू करने के लिए आप निम्नलिखित बिंदुओ पर विचार करके बकरी पालन के लिए सही योजना बना सकते हैं ।
सबसे पहले बकरी पालन की मूल बातें जान लें, जिससे बकरी पालन में ज्यादा मुनाफा हो सके। और बड़े स्तर पर बकरी पालन की योजना को शुरू करने में आपको मदद मिलेगी। बकरी पालन में शुरू से एक रणनीति से काम करें। इससे आपको इस बिजनेस में नुकसान कम होगा।
बकरी पालन शुरू करने के लिए ऐसे स्थान का चयन करें जहां नमी ना हो और आस पास खुला मैदान हो जिससे आप बकरियों को रोज हरा चारा खिला सके । शुद्ध हवा और पीने का पानी हो बकरी पालन के खाने पीने में जो खर्चा होता है। वो कम से कम हो और आप का ज्यादा से ज्यादा फायदा हों सके ।
किसी भी व्यावसायिक बकरी पालन के संचालन में, बकरी की नस्ल का चुनाव लाभ और हानि का प्रमुख स्रोत है। ऐसी बकरियों का चयन करें जो कई बार बच्चे पैदा करने में सक्षम हों और जिनका गर्भकाल कम हो। नस्ल के चयन में पशुपालक को पहले देसी बकरियों का चयन करना चाहिए। और प्रशिक्षण के बाद आप अपने बजट, और जलवायु के अनुसार अच्छी नस्ल का चुनाव कर सकते हैं।
हमारे भारत देश में विभिन्न नस्लों की बकरियां पाई जाती हैं जैसे जमुनापारी, बीटल, बरबरी, सिरोही, आदि
शेड में बकरियों की सख्या उतनी ही रखे जितनी बकरियों की आप आसानी से देख भाल कर सके
बकरियों के आस पास के स्थानों की सफाई का विशेष ध्यान रखें
हम अपने जानवरों का बीमा भी करा सकते हैं जिससे हम नुकसान से बचे रहें। बहुत सी कंपनियां हैं जो जानवरों का बीमा पॉलिसी चलाती हैं।
बकरियों के चारे में हरी पत्तियों का प्रयोग जरूर करे यह उनके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है और साथ ही हम उन्हें ग्वार का भूसा, मूंगफली का भूसा आदि दे सकते हैं।
पाली गई बकरियों में विभिन्न प्रकार के रोग भी हो सकते हैं जैसे - आफरा,दस्त, आदि रोग पाए जाते है जिनकी रोकथाम के लिए टीकाकरण का प्रयोग किया जाता हैं।
बीटल,बरबरी, सिरोही, जमुनापारी, सोजत, ब्लैक बंगाल, बोर बकरी,गुजरी, पंजाबी, हैदराबादी, उस्मानाबादी,कोटा, करोली,तोतापरी आदि नस्ले पाई जाती हैं।
Bakari palan