Vimral एक ऐसी मल्टीविटामिन टानिक है । इसका इस्तेमाल करने से मुर्गी जल्दी तैयार होती है। अगर मेल मुर्गी है तो उसका वजन काफी बढ़ेगा और जो फीमेल है तो वह जल्द से जल्द अंडा देने लगेगी।
1-दस्त रोग से बचाव हेतु मुर्गियों को हमेशा साफ-सुथरा पानी उपलब्ध कराना चाहिये। 2-लहसून की पत्तियाँ एवं हल्दी के कंद को पीसकर दाने के साथ मिलाकर देने से लाभ होता है। 3-इसी प्रकार ब्राऊन शक़्क़र के घोल में पिसा हुआ हल्दी कंद अच्छी तरह मिलाकर घोल को उबाला जाता है। 4-चावल का पसीया मुर्गियों को दस्त से लाभ दिलाता है।
खांसी (आमतौर पर सूखी खांसी) गले में खराश या कर्कश आवाज तेज बुखार, 38 सेंटीग्रेड (100.4 फारेनहाइट) से ऊपर (और पढ़ें - बुखार कम करने के घरेलू उपाय) बंद नाक या नाक बहना हड्डीयों में दर्द जोड़ों में दर्द मांसपेशियों में दर्द नाक से खून बहना छाती में दर्द ठंड लगना और कोल्ट स्वेट (बुखार या किसी बीमारी के कारण पसीने आना) थकान सिरदर्द भूख कम लगना सोने में दिक्कत पेट संबंधी परेशानियां कभी-कभी दस्त की समस्या भी हो सकती है। (और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए) मसूड़ों से खून आना थूक के साथ खून आना
मुर्गी पालन (Poultry Farming) एक बेहद सफल व्यवसाय (Business) है. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको कम पूंजी, समय और मेहनत और जगह में किया जा सकता है. मगर आप इस व्यवसाय को तभी सफल बना सकते हैं, जब आप मुर्गियों का रख रखाव अच्छी तरह करेंगे. अगर पोल्ट्री फार्मों में रोगों का फैलाव हो जाता है, तो इससे आपको भारी आर्थिक हानि हो सकती है. इसके लिए उनके उचित प्रबंधन के साथ टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है. बता दें कि मुर्गियों में टीकाकरण कराने से मृत्युदर को काफी हद तक रोका जा सकता है. आइए आपको बताते हैं कि मर्गियों में किस बीमारी के लिए कौन-सा टीका लगवाएं, किस आयु में लगवाएं और कैसे लगवाएं. जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप अपने फार्म में चूजों को ला रहे हैं, तो उनमें 6 दिन के बाद ही टीकाकरण कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
ये मुर्गियों में होने वाली सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। इसे न्यू कैसल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो मुर्गी पालन के लिए अत्यधिक घातक है। इसमें मुर्गियों को सांस लेने में परेशानी होती है और उनकी मौत हो जाती है। संक्रमित होने पर मुर्गियां अंडा देना भी बंद कर देती हैं। पैरामाइक्सो वायरस की वजह से ये बीमारी होती है।
मुर्गियों में तेज़ बुखार होता हैसांस लेने में दिक्कत होती हैअंडों के उत्पादन में कमी आती हैमुर्गियां हरे रंग की बीट करती हैंकभी-कभी पंख और पैरों को लकवा मार जाता है
यह मुर्गियों और दूसरे पक्षियों में होने वाली एक घातक बीमारी है। ये बीमारी इन्फ्लूएंजा-ए वायरस की वजह से होती है। यदि एक मुर्गी को ये संक्रमण हो जाए, तो दूसरी मुर्गियां भी बीमार पड़ने लगती हैं। संक्रमित मुर्गी की नाक व आंखों से निकलने वाले स्राव, लार और बीट में ये वायरस पाया जाता है। 3 से 5 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने लगते हैं। Jo
ये चूज़ों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। संक्रामक होने की वजह से यह फैलती भी तेज़ी से है। इसमें मुर्गियों का दिल और लीवर प्रभावित होता है। एडिनो वायरस इस बीमारी की प्रमुख वजह है। ये बीमारी इतनी घातक है कि बाड़े की सारी मुर्गियां मर सकती हैं।
रानीखेत रोग एक विषाणु जनित वाइरल रोग हैं, यह बहुत घातक और संक्रामक रोग होता हैं. यह न्यूकैसल रोग विषाणु (NDV) के कारण होता हैं जो कि पैरामायोक्सोवाइरस परिवार का वायरस हैं. यह रोग मुख्य रूप से मुर्गी, बतक, कोयल, तितर, कबूतर, गिनी और कौवे जैसे पक्षियों में देखने को मिलता हैं.
यह एक गंभीर विषय हैं इस रोग इन्क्यूबेशन अवधि 2 से 5 दिन के बीच होती हैं और कुछ केसेस में यह 25 दिन तक हो सकती हैं. इस रोग के फैलने से 40 से 50 प्रतिशत तक मुर्गियाँ मर जाती हैं अगर यह रोग इसके पीक पर पहुच जाए तो 100 प्रतिशत तक मुर्गियाँ मर जाती हैं